विशेषज्ञों की चेतना: क्या ‘AI’ इंसानों के मन के भीतर की गहराईयों तक पहुंच सकता है?

विशेषज्ञों की चेतना: क्या ‘AI’ इंसानों के मन के भीतर की गहराईयों तक पहुंच सकता है?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करने वाली नई प्रौद्योगिकी ने दुनियाभर में चर्चा और हलचल मचा दी है। लोगों के मन में डर है कि AI अब इंसानों के दिमाग की गहराईयों तक पहुंच सकता है और उनके विचारों को समझ सकता है। इस सवाल के साथ-साथ, लोगों में एक और चिंता है कि क्या AI इंसानी देखभाल का कार्य भी कर सकता है।

21वीं सदी में AI ने कई कार्यों को आसान बनाया है, लेकिन इसके साथ ही इसने कई चुनौतियों को भी पैदा किया है। डीप फेक वीडियो और इमेजेस के दुरुपयोग से लेकर इसके नेतृत्व में होने वाले साइबर अपराधों का खतरा बढ़ गया है। इससे उत्पन्न होने वाले फेक वीडियो और इमेजेस में असली और नकली का अंतर बहुत मुश्किल हो गया है। साथ ही, यह संकेत है कि AI इंसानी दिमाग की गहराईयों को भी छू सकता है। इस बारे में विशेषज्ञों की तरफ से कई चिंताएं उजागर हो रही हैं।

ओपनएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सैम आल्टमैन ने बताया कि एआई एक बहुत ही एडवांस प्रौद्योगिकी है, लेकिन इसमें इंसानों के देखभाल की जगह लेने की क्षमता सीमित है। उनका मानना ​​है कि AI कभी भी इंसानी संवेदनशीलता और देखभाल की भावनाओं को समझने में सक्षम नहीं हो सकता है। उन्होंने इसे एक उपकरण की तरह वर्णित किया और कहा कि यह इंसानों की सोच को नहीं जान सकता, लेकिन उसकी गतिविधियों को समझ सकता है।

सैम आल्टमैन ने आगे बढ़ते हुए कहा कि एआई के विकास में हो रही चुनौतियों और चिंताओं के बावजूद, लोग इसका उपयोग उत्पादकता बढ़ाने और अन्य लाभ हासिल करने के लिए कर रहे हैं। उनका यह सुझाव है कि समाज और प्रौद्योगिकी को एक साथ विकसित होने देना चाहिए। इससे हम सुरक्षित और सहजता से इस नई प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकेंगे।

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