जैसे-जैसे चुनावों की तारीख नज़दीक आ रही है वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल भी हमारे घरों के आसपास तेज़ हो रही है। राजनीति का खेल भी शतरंज के खेल के सामान ही है। शतरंज में जहाँ राजा सुरक्षित नहीं तो वहीं राजनीति में किसी की कुर्सी सुरक्षित नहीं है।प्यादे दोनों ही जगह कुर्बान होते थे, होते हैं और होते रहेंगे। जैसे प्यादों की दम पर शतरंज की बाज़ी जीती जाती है वैसे ही प्यादे राजनीति के खेल में भी इस्तेमाल होते हैं। वहां भी इन प्यादों का एक अहम योगदान है। ऊंठ, घोडा, हाथी और रानी इन सबके अपने अपने काम निर्धारित हैं। दोनों ही जगह शतरंज में भी और राजनीति में भी। आने वाले समय में 5 राज्यों चुनाव होने हैं। खैर, आने वालेविधानसभा चुनावों में यह देखना बड़ा दिलचस्प रहेगा कि कौन किसे शह और मात देकर यह खेल अपने नाम करता है।अगले साल मई-जून के महीने में अरुणाचल प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। यहाँ विधानसभा की 60 सीटों पर वोट डलने हैं।
काफी समय से चल रही है प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता
2014 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी अरुणाचल की सत्ता में बहुमत के साथ काबिज़ हुई थी।उस समय उसने विधानसभा की 42 सीटों पर कब्ज़ा किया था। नबाम टुकी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन ज्यादा समय तक टुकी को मुख्यमंत्री की कुर्सी रास नहीं आयी और एक साल के बाद ही कांग्रेस विधायकों में मुख्यमंत्री नबाम टुकी के खिलाफ असंतोष पनपने लगा। जिसके बाद कांग्रेस और अन्य पार्टी के मिलाकर 47 में से 21 विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर दी और वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 1 महीने के अंतराल के बाद बीजेपी की मदद से कांग्रेस के बागी गुट के नेता कलिखो पुल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। जिसे कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी और पुल की सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया। कुल मिलकर अरुणाचल प्रदेश में एक समय 11 महीने में चार बार मुख्यमंत्री बदले गए थे। यह एक बहुत ही बड़ी राजनीतिक नाकामयाबी मानी जाएगी।इतनी बड़ी राजनीतिक उठा-पटक से सिर्फ राज्य में रहने वाली जनता का ही नुकसान होता है। अगली बार यह देखना दिलचस्प रहेगा कि जनता किस पार्टी पर अपना भरोसा करती है।विधानसभा की कुल 60 सीटों पर मतदान होने हैं।
इस समय क्या है स्थिति ?
अगर हम अरुणाचल में इस समय की स्थिति को देखें तो अरुणाचल विधानसभा की 60 में से 48 सीटें भारतीय जनता पार्टी के पास हैं। तो वहीं नेशनल पीपल्स पार्टी के पास 7 सीटें हैं। नेशनल पीपल्स पार्टी के विधायकों ने अपना समर्थन भाजपा को दिया है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी के पाले में इस समय केवल 3 विधायक ही बचे हैं। 2014 में कांग्रेस के पास 42 विधायकों का समर्थन था। तो इससे यह साफ़ जाहिर होता है कि राजनीति में केवल आंकड़े ही मायने रखते हैं। भाजपा ने बड़ी ही चालाकी से सभी विधायकों का समर्थन प्राप्त कर प्रदेश में अपनी सरकार बना ली। और पेमा खांडू ने मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली।
पार्टी | मौजूदा सीट |
---|---|
भारतीय जनता पार्टी | 48 |
कांग्रेस | 3 |
नेशनल पीपल्स पार्टी | 7 |
2014 में क्या रहे थे नतीजे
2014 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी अरुणाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत के आयी थी । नबाम तुकी ने उस समय मुख्यमंत्री पद संभाला था। उस समय पार्टी ने विधानसभा की 42 सीटों पर कब्ज़ा किया था। तो वहीं इस समय सत्ता पर काबिज़ भाजपा को तब मात्र 11 सीटें ही मिली थी। और नेशनल पीपल्स पार्टी 2014 के विधानसभा चुनावों में 5 सीटें ही जीत पाई थी।
पार्टी | 2014 के चुनावों में सीटें |
---|---|
कांग्रेस | 42 |
भारतीय जनता पार्टी | 11 |
नेशनल पीपल्स पार्टी | 5 |