भारत में बहुदलीय व्यवस्था प्रणाली हैं। चुनाव आयोग के आकड़े के अनुसार भारत में लगभग 2044 राजनीतिक पार्टियां हैं। जिनको चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त है। चुनाव आयोग हर वर्ष नेताओं के आवेदन पर नए दलों को मान्यता प्रदान करता है तथा उन्हें चिन्ह देता है।ऐसा माना जाता है कि सबसे ज्यादा चुनाव के दिनों में ही नए दलों के पंजीकरण के आवेदन चुनाव आयोग को मिलते हैं। कुछ राजनितिक दल चुनाव में अपने आप को स्थापित कर लेते हैं तो कुछ मौसमी भी होते हैं।भारत के राजनीति में अपना प्रभाव रखने वाले क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल को आप उंगलियों पर गिन सकते हैं।शायद चुनाव विश्लेषक और राजीनीति पर अपनी पकड़ रखने वाले बड़े पत्रकार भी चुनाव आयोग में पंजीकृत 2044 राजनीतिक दलों के बारे में जानते होंगे।तो आइये आज आपको बताते है भारत के प्रमुख राष्ट्रीय राजनितिक दलों के बारे में।
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनितिक दल में अंतर
ऐसा माना जाता है कि भारत के लोकतान्त्रिक व्यवस्था में क्षेत्रीय पार्टियों का बहुत ज्यादा महत्व है और ये भारतीय राजनीति व्यवस्था को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।किसी भी क्षेत्रीय राजनीतिक दल को जब चुनाव आयोग राष्ट्रीय दल की मान्यता दे देता है तो उस दल की बहुत बड़ी उपलब्धि होती हैं।शुरुआत में कोई भी राजनीतिक दल क्षेत्रीय ही होता है। चुनावों में सफलता राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय दल का मान्यता दिलाती हैं। तो आइये जानते है किसी क्षेत्रीय को राष्ट्रीय दल का दर्ज़ा प्राप्त करने के लिए किन किन मापदंडो को पूरा करना होता है।
- किसी राजनीतिक दल को तीन अलग अलग राज्यों में लोकसभा की 2 प्रतिशत सीटें प्राप्त हुई हो।
- जिस दल को लोकसभा या आम चुनाव में चार अलग राज्यों में कुल मतों का 6 प्रतिशत मत प्राप्त हो और उसने लोकसभा की 4 सीटों पर जीत दर्ज़ की हो।
- किसी दल को 4 विधानसभा चुनाव में वहां की क्षेत्रीय दल का दर्ज़ा प्राप्त हो।
भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दल
- कांग्रेस :- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतीय राजनीति की सबसे पुरानी पार्टी हैं। कांग्रेस पार्टी को भारत में सबसे ज्यादा समय तक सत्ता सँभालने का गौरव प्राप्त हैं। कांग्रेस का गठन ब्रिटिश काल में भारत को आज़ादी दिलाने के 1885 में हुआ था।परन्तु आज़ादी के बाद ये एक राजनीतिक दल के रूप में काम करने लगी।पंडित जवाहर लाल नेहरू इसके नेता चुने गए थे और आज़ादी के बाद पहले प्रधानमंत्री बने थे। कांग्रेस का इतिहास बहुत पुराना है और कांग्रेस ने देश कई बड़े नेता दिए हैं। वर्तमान में राहुल गाँधी पार्टी के अध्यक्ष हैं और उन्होंने अपने माता सोनिया गाँधी का पदभार संभाला था।वर्तमान में कांग्रेस पार्टी अपने सबसे कमजोर वक़्त से गुज़र रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी को ज्यादातर चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। भारत की संसद में कांग्रेस को मुख्य विपक्षी वही दल का दर्ज़ा प्राप्त है। कांग्रेस को भारत के चुनाव आयोग के द्वारा राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा प्राप्त है।2014 के लोकसभा चुनाव मात्रा 44 लोकसभा सीटों से संतोष करना पड़ा था और सबसे इतिहास के सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।वहीं राज्यसभा में कांग्रेस के 50 सांसद है।
- भाजपा :- भारतीय जनता पार्टी वर्त्तमान में भारत के सबसे ज्यादा भू भाग पर अपना शासन कर रही है।भारतीय जनता पार्टी की नीव 1951 में शयामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा जनसंघ के रूप में रखा गया था। आगे चल कर जनता पार्टी का सफर करती हुई भारतीय जनता पार्टी बन गयी। भारतीय जनता पार्टी के बारे में कहा जाता है कि वो एक हिंदूवादी राजनीतिक दल हैं। वर्त्तमान में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं ।अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।भारत के 19 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकार हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। 543 में से पार्टी ने 282 सीटें जीत ली थी। वहीं राज्यसभा में भाजपा के 73 सांसद हैं। चुनाव आयोग के द्वारा भाजपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा प्राप्त हैं।
- बसपा:- बहुजन समाज पार्टी को भी भारत के राजनीति में प्रभावी पार्टी के रूप में जाना जाता हैं।बहुजन समाज पार्टी का गठन कांशीराम ने किया था। मौजूदा वक़्त में पार्टी की कमान मायावती के पास हैं।बहुजन समाज पार्टी का सबसे ज्यादा प्रभाव उत्तरप्रदेश में माना जाता हैं।बहुजन समाज पार्टी को दलित हितैशी पार्टी माना जाता है।पार्टी भीम राव आंबेडकर को अपना आदर्श मानती हैं। हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव प्रतिक है। 2014 के बाद बसपा सबसे कमजोर समय से गुज़र रही है। पार्टी को चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा हैं।16वीं लोकसभा में पार्टी के पास एक भी सांसद नहीं हैं। वहीं राज्यसभा में पार्टी के 4 सांसद हैं। 403 विधायकों वाली उत्तरप्रदेश विधानसभा में पार्टी के पास 19 विधायक हैं। बसपा पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा छीनने का भी खतरा हैं।
- एनसीपी :- 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया गया था। पार्टी का गठन पीए संगमा ,तारिक़ अनवर और शरद पंवार ने किया था।शरद पंवार ने सोनिया गाँधी को कमान सौपे जाने का विरोध किया था क्योँकि वो इटैलियन मूल की थी। जिसके बाद शरद पवार और उनके सहयोगियों को पार्टी से बाहर कर दिया था।एनसीपी का सबसे ज्यादा प्रभाव महारष्ट्र में माना जाता हैं। इनका चुनाव चिन्ह घड़ी हैं। वर्त्तमान में शरद पंवार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। महाराष्ट्र में पार्टी के 41 विधायक है जबकि लोकसभा पार्टी के कुल 6 सांसद हैं। राज्यसभा में पार्टी के 4 सदस्य हैं
- सीपीआईएम:- सीपीआईएम का गठन 1964 में सी.पी.एम. से विभाजन के बाद हुआ था। सीपीआईएम को भी चुनाव आयोग से राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्ज़ा प्राप्त हैं।सीपीआईएम का दावा है कि वो समाज के शोषित वर्ग की राजनीति करते हैं।वर्त्तमान में सीपीआईएम के सीताराम येचुरी महासचिव हैं। सीपीआईएम को केरल ,त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाता हैं।लोकसभा में पार्टी के 9 और राज्यसभा में पार्टी के 5 सांसद हैं।
- सी.पी.एम. :- कम्युनिस्ट पार्टीका गठन 25 दिसंबर 1925 को हुआ था।एस सुधाकर रेड्डी पार्टी के महासचिव हैं।सी.पी.एम. अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही हैं। पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा हैं। पार्टी की राज्यसभा में 2 तो लोकसभा में मात्र 1 सांसद हैं।
- टीएमसी:-तृणमूल कांग्रेस का गठन 1 जनवरी 1998 को ममता बनर्जी के द्वारा किया गया था। पार्टी बनाने से पहले तक ममता बनर्जी कांग्रेस पार्टी की नेता थी।कांग्रेस पार्टी का सबसे ज्यादा प्रभाव पश्चिम बंगाल में हैं।तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में लेफ्ट के वर्षो के साम्राज्य को उखाड़ फेका था।तृणमूल कांग्रेस का पश्चिम बंगाल में शासन हैं। ममता बनर्जी इसके राष्ट्रीय अध्यक्षा हैं। चुनाव आयोग के द्वारा इसे राष्ट्रीय दल का दर्ज़ा प्राप्त हैं। 294 विधायकों वाली बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के 213 विधायक है। लोकसभा में पार्टी के 34 सांसद है जबकि राज्यसभा में 13 सांसद तृणमूल कांग्रेस के हैं।