पंजाब के अमृतसर शहर में एक बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है। शहर के राजासांसी गांव में स्थित निरंकारी भवन में दो बाइकसवार युवकों ने ग्रेनेड बम से हमला किया है। इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई है और 19 लोग भी घायल हुए हैं। चश्मदीदों के मुताबिक हमलावर नकाब पहने हुए थे और उनके पास पिस्तौल भी थी। यह हमला जिस वक्त किया गया तब निरंकारी भवन में सत्संग चल रहा था और वहां लगभग 250 लोग मौजूद थे। इस धमाके के बाद शहर में सुरक्षा और बढ़ा दी गई है और पूरे पंजाब में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
आपको बता दें कि हर रविवार को निरंकारी भवन में सत्संग का आयोजन किया जाता है जिसमें आस-पास के गांव से लोग आते हैं। हमलावरों ने दहशत फ़ैलाने के लिए जिस दिन और समय को चुना, उससे यह साफ़ पता चलता है कि हमलावरों ने पहले से काफी जाँच पड़ताल कर रखी थी।
सूबे के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस हमले की कड़ी शब्दों में निंदा की और मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये देने की घोषणा भी की। तो वहीं घायलों का इलाज मुफ्त में कराया जाएगा। इसके साथ ही पंजाब में कांग्रेस के प्रमुख सुनील जाखड़ का कहना है कि मेरी संवेदना उन सभी लोगों के परिवारों के साथ है जिनने इस हमले में अपनी जान गंवाई है। हमले के माध्यम से राज्य की शांति व्यवस्था को भांग करने की कोशिश की गई है।मेरे हिसाब से आने वाले समय के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों को और सतर्कता बरतने की जरूरत है।
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रविवार की सुबह इस हमले को अंजाम दिया गया जिससे ठीक 2 दिन पहले ही पंजाब ने शहर में आतंकी मूसा के होने की आशंका जताई थी।पुलिस ने पूरे शहर में खूंखार आतंकी जाकिर मूसा के पोस्टर चस्पा कर दिए थे।तो सवाल यह उठता है कि जब दो दिन पहले से ही किसी हमले की आशंका थी तो सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चोबंद क्यों नहीं किया गया ? हमले में जिन लोगों की मौतें हुई हैं उनका जिम्मेदार कौन ठहराया जाएगा ?
अमृतसर के निरंकारी भवन पर हुए हमले के बाद पूरे पंजाब को हाई अलर्ट कर दिया गया है। साथ ही दिल्ली में स्थित निरंकारी भवन के आस-पास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।