हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। हरियाणा में वैसे तो सीधी टक्कर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी में मानी जा रही हैं।
लेकिन दुष्यंत चौटाला एक ऐसा चेहरा है जो मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं। दुष्यंत चौटाला का संबंध पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार से हैं।
दुष्यंत चौटाला ने अपने चाचा अभय चौटाला से राजनीतिक मतभेद के बाद पिछले साल दिसंबर में आईएनएलडी से किनारा करते हुए जननायक जनता पार्टी का गठन किया था।
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इस बार विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी सभी 90 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने जा रही है। दुष्यंत चौटाला ने जब राजनीति में कदम रखा था, तब इंडियन नेशनल लोकदल की हालत खराब थी।
हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। जबकि 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के एक भी कैंडिडेट जीत दर्ज़ नहीं कर पाए थे।
इसका बड़ा कारण ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को JBT घोटाला मामले में जेल जाना था। अजय चौटाला ने 2014 में अपने बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला को हिसार लोकसभा चुनाव से टिकट दिया था .
25 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज करके 16वीं लोकसभा में सबसे युवा सांसद होने का गौरव प्राप्त किया था। सांसद बनने के बाद दुष्यंत की पार्टी पर पकड़ मजबूत होने लगी थी।
वह हरियाणा के युवाओं में उनकी लोकप्रियता काफी ज्यादा देखे जाने लगी। 2014 विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह की पत्नी के सामने भी चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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अजय चौटाला के जेल जाने के बाद इंडियन नेशनल लोकदल की कमान उनके छोटे भाई अभय चौटाला के हाथों में आ गई। लेकिन अपने चाचा से मतभेद के बाद 2018 में दुष्यंत चौटाला ने अपनी राहें अलग कर ली और जननायक जनता पार्टी का गठन किया।
दुष्यंत चौटाला ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली और खुद दुष्यंत चौटाला भी अपनी सीट नहीं बचा पाए।
विधानसभा चुनाव से पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी से JJP ने गठबंधन भी किया लेकिन चुनाव से ठीक पहले मायावती की पार्टी बसपा ने अपनी राहे अलग कर ली।