ओड़िशा की राजनीति में जब से बीजू जनता दल का उदय हुआ है तब से बीजू जनता दल का एकक्षत्र राज है और नवीन पटनायक 18 वर्ष से लगातार वहां के मुख्य्मंत्री हैं।2014 के विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल को बड़ा जनसमर्थन मिला था और उन्होंने 117 विधानसभा सीटें जीत कर अपनी सरकार का गठन किया था। नवीन पटनायक को ओड़िशा का सबसे बड़ा और लोकप्रिय चेहरा माना जाता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि कितना भी बड़ा चेहरा हो ओडिशा में नवीन पटनायक के सामने छोटे पड़ जाते है।
ओड़िशा की सभी बीजद विरोधी दले उनके एक क्षत्र राज को ख़त्म करना चाहती है। वही बीजू जनता दल बीजू युवा वाहिनी बना कर भारी संख्या में युवाओं को इस में शामिल कर रही है।ज्यादा समय नहीं हुआ जब बीजू जनता दल ने 2 अक्टूबर यानि गाँधी जयंती को महाव्यापी जनसम्पर्क अभियान शुरू किया था।इन सब के पीछे बड़ा कारण बीजू जनता दल का पंचायत चुनाव में झटका लगना हैं। बीजू जनता दल को पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार पंचायत चुनाव में 180 सीट का नुकसान सहना पड़ा था।जानकारों की भी माने तो इस बार ओड़िशा का चुनाव काफी रोचक होने वाला हैं और नवीन पटनायक के लिए इस बार जीत पाना इतना आसान नहीं होने वाला।विधानसभा हो या लोकसभा बीजद को भाजपा से कड़ी टक्कर मिल सकती हैं।पहले के मुकाबले ओड़िशा में भी भाजपा का संगठन मजबूत हुआ है।
क्या ओड़िशा में भी लहराएगा भगवा
पंचायत चुनाव में सफलता के बाद भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ओड़िशा को ले कर आक्रामक रवैया अपनाये हुए है। 2014 के बाद भारतीय जनता पार्टी का जनाधार लगातार बढ़ा है। भाजपा उत्तर से पूर्वोत्तर तक पहुँच चुकी हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कई ऐसी जगहों पर अपनी सरकार बनायीं हैं जहाँ उनके जीतने की संभावना बहुत ही कम थी।उदाहरण के लिए हम त्रिपुरा और असम का नाम ले सकते है। इसलिए अगर ओड़िशा में भी भाजपा बीजू जनता दल को पठखनी दे देती हैं तो कोई आश्चर्य वाली बात नहीं होगी।पंचायत चुनाव का परिणाम बताता हैं की ओड़िशा में भाजपा का जनाधार लगातार बढ़ा हैं।भाजपा के लगातार मजबूत होने का दूसरा बड़ा कारण ये हैं की प्रदेश में कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही हैं। भाजपा के प्रदेश इकाई ने तो भाजपा हाईकमान को प्रस्ताव भेजा हैं कि नरेंद्र मोदी को ओड़िशा के पुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाया जाये।भाजपा प्रदेश इकाई को लगता हैं की अगर मोदी पुरी से अपना चुनाव लड़ते हैं तो प्रदेश में भाजपा और ज्यादा मजबूत होगी।वही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कह चुके हैं कि भाजपा ओड़िशा विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप करेगी।निश्चित तौर पर कहा जा सकता हैं की इस बार ओडिशा में भाजपा बीजू जनता दल को कड़ी टक्कर देगी।
क्या काम हुआ हैं पटनायक का प्रभाव
जब पुरे देश में मोदी लहर चल रही थी और भारतीय जनता पार्टी की जबरदस्त जीत हुई थी ,उस समय भी नवीन पटनायक ने ओड़िशा में भाजपा को टिकने नहीं दिया था।ओडिशा में बीजू जनता दल के पास अभी कुल 117 विधायक है।हालांकि 2014 के मुकाबले इस बार मुकाबला जरा कठिन लग रहा है। चुनाव विशेषज्ञों की माने तो इस बार बीजद के लिए मुश्किल हो सकती हैं। इस बात बात की गवाही प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के परिणाम भी देते है। 2012 में हुए पंचायत चुनाव में नवीन पटनायक की पार्टी को 651 सीटें मिली थी तो 2017 के चुनाव में उन्हें 471 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। ओड़िशा में जिला परिषद् की कुल 851 सीटें हैं।ये बीजू जनता दल और नवीन पटनायक के लिए बहुत बड़ा झटका था।इस चुनाव परिणाम पर खुद नवीन पटनायक बयान दे चुके हैं कि ये खतरे कि घंटी है।इसलिए बीजू जनता दल लगातार चुनावी अभियान चला रही और जनता से संपर्क साध रही हैं।
बीजू जनता दल के लिए दूसरी बड़ी चुनौती पार्टी में नेताओं की अंदरूनी कलह।कभी नवीन पटनायक के खासमखास रहे बीजद नेता और पूर्व मंत्री दामोदर राउत नवीन पटनायक के खिलाफ ताल ठोक रहे है और विधानसभा चुनाव में उन्हें पटखनी देने का बयान दे रहे हैं ।बताया जाता हैं कि नवीन पटनायक से नाराज़ चल रहे कई बड़े नेता लगातार दामोदर राउत के सम्पर्क में है।दामोदर राउत के नए दल बनाने पर उसमे शामिल हो सकते हैं।अभी ज्यादा समय नहीं बिता जब नवीन पटनायक ने दामोदर राउत को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था।
कांग्रेस भी कर चुकी हैं अपने 44 उम्मीदवारों का नाम तय
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार कमजोर हो रही है।ओड़िशा में भी कांग्रेस की हालत अलग नहीं है।भाजपा जहाँ हर चुनाव में लगातार मजबूत हो रही तो कांग्रेस कमजोर।पिछले विधानसभा परिणाम की बात करे तो 147 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 16 विधायक हैं ।जानकार बताते हैं कि ओड़िशा में कांग्रेस का संगठन टूट चूका है और अपने दम पर 16 सीट भी लाना आसान नहीं होगा। वैसे अंदेशा ये भी जताया जा रहा हैं कि चुनाव से पहले बीजद और कांग्रेस का गठबंधन भी हो सकता हैं।
खैर दूसरी तरफ कांग्रेस अपने दम पर अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। कांग्रेस प्रदेश इकाई ने अपने 44 उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिया है तथा हाईकमान को भेज दिया है। इन 44 नामो में 15 मौजूदा विधायकों के भी नाम हैं।कुछ समय पहले कांग्रेस के ओड़िशा प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने बयान दिया था कि उम्मीदवारों का चयन उनकी जीतने की क्षमता और उम्र के लिहाज़ से दिया गया हैं।नामों का आधिकारिक ऐलान स्क्रीनिंग कमिटी के मुहर के बाद किया जायेगा।
2014 का विधानसभा चुनाव परिणाम
कुल सीट -147
राजनीतिक दल | सीट |
---|---|
बीजू जनता दल | 117 |
कांग्रेस | 16 |
भाजपा | 10 |
निर्दलीय | 2 |
सी.पी.एम. | 1 |
SKD | 1 |
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