आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से ही राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो चुकी हैं। सभी राजनीतिक दल पार्टी का सदस्यता अभियान चला कर ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं।
लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने तेजस्वी यादव को अपना मुख़्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है। लेकिन तेजस्वी यादव के नाम पर महागठबंधन में ही सहमति बनती नहीं दिख रही है।
सोमवार को कांग्रेस प्रदेश सलाहकार समिति की बैतहक हुई। इस बैठक में यह फैसला हुआ कि कांग्रेस उपचुनाव में 5 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करेगी।
बिहार कांग्रेस के प्रभारी वीरेन्द्र राठौड़ ने तेजस्वी यादव के मुख़्यमंत्री के उम्मीदवारी पर ऐसा बयान दिया जो शायद राजद को पसंद ना आया हो।उन्होंने तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार मानने के सवाल को हैपोथेटिकल बता दिया।
कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारियों चुकी है। लेकिन पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले उपचुनाव अपना किस्मत आजमाना चाहती है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिहार कांग्रेस के नेता विधानसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने गठबंधन का फैसला हाईकमान पर छोड़ रखा है।
बिहार कांग्रेस के नेता प्रेमचंद्र मिश्रा भी कह चुके हैं कि गठबंधन पर आखिरी फैसला हाईकमान का होगा। हाईकमान के फैसले के अनुसार ही वह चुनाव में उतरेंगे।
सूत्रों का का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस के नेता महागठबंधन में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे है। कांग्रेस नेता राजद और ख़ासकर तेजस्वी यादव के रवैये से काफी खफा हैं।
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लोकसभा चुनाव के दौरान भी सीट शेयरिंग के मुद्दे प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने आलाकमान को गठबंधन तोड़ने का सीधा सन्देश दिया था। लेकिन आलाकमान ने गठबंधन तोड़ने से इंकार कर दिया था। जीतनराम मांझी भी अपनी आँख दिखा चुके हैं।
जीतनराम मांझी भी तेजस्वी यादव को अनुभवहीन बता चुके हैं। लेकिन इतना तो साफ़ है कि महागठबंधन में एकता नज़र नहीं आ रही है। अगर तेजस्वी यादव को सीएम बनाना है तो राजद को महागठबंधन के अन्य दलों का विश्वास जीतना होगा।