वर्ष 2014 से पहले तेलंगाना राज्य आँध्रप्रदेश का अहम् हिस्सा था। 2014 में आँध्रप्रदेश से अलग कर तेलंगाना को भारत के 29वें राज्य का दर्ज़ा दिया गया। बंटवारे के बाद तेलंगाना राज्य में कुल 119 विधानसभा सीटें हैं। बंटवारे के बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता चंद्रशेखर राव पहले मुख़्यमंत्री बनें।चंद्रशेखर राव को दक्षिण के एक चतुर और साफ़ छवि के नेता के रूप में जाना जाता है। सत्तर के दशक में चंद्रशेखर राव ने युवाकांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक सफर का आगाज़ किया था।इसके बाद वह देलगू देशम पार्टी में भी रहें। इसके बाद NT रामाराव के सरकार में आंध्राप्रदेश में मंत्री भी रहें। बाद मेंराज्य के विभाजन के बाद तेलंगाना के पहले मुख्य्मंत्री बनाये गए । तेलंगाना राष्ट्र समिति पार्टी का तेलंगाना में काफी ज्यादा प्रभाव माना जाता है। इस बार तेलंगाना का चुनाव काफी ज्यादा रोचक होने की उम्मीद है। तेलंगाना में KCR राव को सत्ता से दूर करने के लिए विपक्षी पार्टियांगठबंधन कर रही हैं। तो वहींकुछ नए दल भी पहली बार तेलंगाना में अपना किस्मत आजमाने उतरेंगे। चंद्रशेखर राव भी केंद्र की भाजपा सरकार के मुद्दों के आधार पर समर्थन देते आए हैं। मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के लिए भी अपनी सत्ता को बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है।
समय से पहले चुनाव चाहती है TRS
कभी एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन करने वाली चंद्र शेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति चाहती है कि समय से पहले ही विधानसभा चुनाव करवा लिया जाये। उनका मानना है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ उनके राज्य में भी चुनाव होते है तो उन्हें राजनीतिक फायदा मिल सकता है। टीआरएस को लगता है कि अचानक चुनाव होने से उनके विपक्षी दलों को चुनाव की तैयारी में कम समय मिलेगा जो उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है। टीआरएस को लगता है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने पर राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो जायेंगे जिससे उनके दल को राजनीतिक नुकसान पहुँच सकता है। टीआरएस को ये भी अंदेशा है कि अगर कांग्रेस पार्टी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतती है तो तेलंगाना कांग्रेस में भी नई जान आ सकती है। KCR राव को यह भी अंदेशा है कि लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव होने पर मुस्लिम वोट भी छिटक सकता है। वही विपक्षी पार्टियां यह आरोप लगा रही है कि हार के डर से TRS समय से पहले चुनाव कराना चाहती है।तेलंगाना के 119 में से 63 विधायक टीआरएस के है।
कांग्रेस के लिए संघर्ष भरा होगा तेलंगाना चुनाव
कांग्रेस पार्टी के लिए तेलंगाना विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण होगा। पूरे देश में कांग्रेस पार्टी की लगातार हार हो रही है, तेलंगाना में भी कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने की संभावना कम ही नजर आती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि तेलंगाना राज्य में कांग्रेस पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है जो प्रदेश में पार्टी की कमान संभाल सके। कांग्रेस पार्टी में जो बड़े नेता थें वह पार्टी से बगावत कर चंद्रशेखर राव के टीआरएस में शामिल हो चुके हैं। इससे पार्टी और ज्यादा कमजोर होती नज़र आती है। तेलंगाना में बीजेपी के साथ-साथ टीआरएस भी कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बात कर रही है। टीआरएस नेता और तेलंगाना के मुख़्यमंत्री चंद्रशेखर राव राहुल गाँधी को गंभीरता से नहीं लेते। बीजेपी और टीआरएस दोनों का लक्ष्य तेलंगाना में कांग्रेस को रोकने का है।विशेषज्ञों की मानें तो अगर बीजेपी को तेलंगाना चुनाव में फायदा होता है तो उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। जिससे कांग्रेस अपनी स्थिति तेलंगाना में मजबूत करने के लिए तेलुगू देशम पार्टी (TDP) से गठबंधन कर सकती है।
क्या तेलंगाना में भी खिलेगा कमल
उत्तर पूर्वी राज्य हो या उत्तरी राज्य ज्यादातर जगहों पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी ने दो दशकों से सत्ता में बैठी माणिक सरकार को उखाड़ फेका था, जिसका अंदाज़ा बहुत कम लोगों को ही था। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी दक्षिण में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवा पायेगी। जानकारों की माने तो तेलंगाना में भाजपा की सरकार बनने की संभावना न के बराबर है। असम और त्रिपुरा की स्थिति तेलंगाना से बहुत अलग थी। वहां आरएसएस का भी बहुत बड़ा सहयोग रहा था। उसके उलट तेलंगाना में भाजपा के पास कोई कुशल व्यक्ति अथवा नेता नहीं है जो प्रदेश में भाजपा को आगे ले जा सके। चंद्रबाबू नायडू से दूरी बढ़ने के बाद भाजपा टीआरएस से अपनी नज़दीकी बढ़ा रही है। भाजपा आलाकमान को भी अंदाज़ा है कि तेलंगाना की डगर आसान नहीं है। हालांकि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं कहा जा सकता, ये चुनाव परिणाम ही बताएँगे कि क्या मोदी और शाह की जोड़ी तेलंगाना में अपना कमल खिला पायेगी या नहीं।
AAP भी लड़ेगी सभी सीटों पर चुनाव
अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। आम आदमी पार्टी अपने नेता और दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती को तेलंगाना प्रभारी नियुक्त कर चुकी है।आम आदमी पार्टी के तेलंगाना प्रभारी सोमनाथ भारती ने कहा था कि तेलंगाना की जनता टीआरएस की सरकार से परेशान है और वो दिल्ली जैसी स्वच्छ और दूरदर्शी सोच वाली सरकार चाहती है। जानकारों की माने तो आम आदमी पार्टी बेशक बड़े-बड़े दावे करती हो पर तेलंगाना में 1-2 विधायक भी बना पाना उसके लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी। आम आदमी पार्टी के अलावा लेफ्ट पार्टियां भी तेलंगाना में विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
2014 विधानसभा परिणाम
राजनितिक दल | जीती हुई सीटों की संख्या |
---|---|
तेलंगाना राष्ट्र समिति | 63 |
इंडियन नेशनल कांग्रेस | 21 |
तेलगू देशम पार्टी | 15 |
AIMIM | 7 |
बीजेपी | 5 |
YSR कांग्रेस | 3 |
बसपा | 2 |
सीपीआई | 1 |
सीपीआई (M) | 1 |
निर्दलीय | 1 |
कुल | 119 |
First row is a table header