पाँच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने अब तारीखों ऐलान कर दिया है। 2018 के अंत में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में चुनाव होने हैं।सभी राजनीतिक दल पहले से ही चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं । अब तारीखों के ऐलान के बाद चुनाव में जीत पाने के लिए सभी दलों में शह और मात का खेल और जोरों पर रहेगा। चुनाव आयोग के घोषणा के मुताबिक़ छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होंगे। बाकी राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,मिजोरम और तेलंगाना में एक चरण में ही चुनाव होगा। छत्तीसगढ़ के पहले चरण में विधानसभा की 18 सीटों पर जबकि दूसरे चरण में विधानसभा की 72 सीटों पर चुनाव होंगे। पहले चरण का मतदान 12 नवंबर और दूसरे चरण के मतदान 20 नवंबर को होगा। मध्यप्रदेश और मिजोरम में एक ही चरण में 28 नवंबर को वोटिंग होगी और राजस्थान, तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोटिंग होगी। सभी 5 राज्यों के चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को घोषित होंगे।चुनाव के तारीखों के ऐलान के साथ ही इन राज्यों में आचार संहिता भी लागू हो गयी है।कोई भी राज्य सरकार अब किसी भी नई योजना का ऐलान नहीं कर सकती।
राज्य | मध्य प्रदेश | राजस्थान | छत्तीसगढ़ | तेलंगाना | मिज़ोरम |
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चुनावों की तारीख | 28 नवम्बर | 7 दिसंबर | पहला चरण -12 नवंबर दूसरा चरण -20 नवंबर | 7 दिसंबर | 28 नवम्बर |
नोट- सभी राज्यों के चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को चुनाव आयोग द्वारा घोषित किये जाएंगे।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ इकलौता ऐसा राज्य है जहाँ दो चरणों में चुनाव होंगे। छत्तीसगढ़ में 12 और 20 नवंबर को चुनाव होना है। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और डॉ रमन सिंह यहाँ के मुख़्यमंत्री हैं। राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं ,सत्ताधारी भाजपा के पास 49 सीटें हैं।वहीं कांग्रेस की बात की जाए, तो उनका राज्य के 39 सीटों पर कब्ज़ा है ,जबकि 3 सीटों पर अन्य का कब्ज़ा है। इस बार चुनावी मुकाबला रोचक दिख रहा है क्योँकि प्रदेश के कद्दावर नेता और पूर्व मुख़्यमंत्री रहे अजीत जोगी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से अपना अलग दल बना चुके हैं। अजीत जोगी ने बसपा से प्रदेश में सियासी गठबंधन किया है। मुख़्यमंत्री डॉ रमन सिंह के सामने अपनी कुर्सी बचाना एक कड़ी चुनौती होगी।
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में विधानसभा सीटों की बात करें तो कुल 230 सीटें हैं।मध्यप्रदेश में भाजपा के शिवराज सिंह चौहान लगातार 15 वर्षों से यहाँ के मुख़्यमंत्री हैं। मध्यप्रदेश में 11 नवंबर को विधासभा का चुनाव होना है। ऐसा माना जाता है कि गुजरात के बाद मध्यप्रदेश भाजपा का सबसे बड़ा गढ़ है। मुख़्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार 15 सालों से इस किले को संभाल रखा है।परन्तु इस बार चौहान सरकार को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है और यह मुकाबला आसान नहीं होने वाला। टीवी चैनलों द्वारा किये गए सर्वे की मानें तो मध्यप्रदेश की जनता इस बार मामा को विदा करने का मन बना चुकी है।
राजस्थान
राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ज़बरदस्त जीत हुई थी और भाजपा को 160 सीटें मिली थी। वही कांग्रेस को 25 सीटों से संतोष करना पड़ा था जबकि 15 सीटें अन्य के खाते में गई थी।1993 के बाद राजस्थान का इतिहास रहा है वहां की जनता हर पाँच साल पर सत्ता बदल देती है।विशेषज्ञों की मानें तो 2014 के बाद राजस्थान का चुनाव भाजपा के लिए सबसे मुश्किल चुनाव होगा।राजस्थान में भाजपा को सत्ता बचाने में काफी मुश्किल होगी। माना जा रहा है कि प्रदेश की जनता महारानी को विदा करने का मन बना चुकी है।प्रदेश में भाजपा का नहीं वसुंधरा राजे का विरोध हो रहा है। राजस्थान में लोग नारे लगा रहे हैं “मोदी जी से बैर नहीं वसुंधरा की खैर नहीं “
तेलंगाना
तेलंगाना में भी 7 दिसंबर को चुनाव होना है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि तेलंगाना में समय से 9 महीने पहले चुनाव हो रहे हैं।सितम्बर में चंद्रशेखर राव की सरकार ने विधानसभा भंग कर दी थी। तेलंगाना नव गठित राज्य है। वर्ष 2014 में आँध्रप्रदेश विभाजन के बाद तेलंगाना राज्य का गठन हुआ हुआ। हैदराबाद को संयुक्त राजधानी बनाया गया। टीआरएस के नेता चंद्रशेखर राव यहाँ के मुख़्यमंत्री हैं। तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं। 90 सीटें सत्ताधरी टीआरएस के पास हैं जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास 13 जबकि अन्य के पास 16 सीटें हैं। इस चुनाव में भी टीआरएस का पलड़ा भारी नज़र आता हैं।ऐसी भी उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव में TDP और कांग्रेस का गठबंधन हो सकता है। जबकि AIMIM भी तेलंगाना में प्रभावी साबित हो सकती है।
मिजोरम
मिजोरम पूर्वोत्तर का राज्य है। राज्य 1987 में हुआ था और 1989 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी थी। और ललथनहवला मुख्यमंत्री बने थे। कांग्रेस लगातार दो बार सत्ता में रही थी। इसके बाद MNF (मिज़ो नेशनल फ्रंट ) की सरकार बनी। कांग्रेस यहाँ 4 बार सरकार बना चुकी है जबकि मिज़ो नेशनल फ्रंट दो बार सरकार बना चुकी है। वर्त्तमान में 40 विधानसभा सीटों वाली मिजोरम में कांग्रेस के पास 34 तो मिज़ो नेशनल फ्रंट के पास 5 विधायक हैं। एक सीट अन्य के पास है।ललथनहवला मिजोरम के मुख्य्मंत्री हैं।मिजोरम में 28 नवंबर को चुनाव होने है तथा 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। देश के सभी राज्यों में धीरे-धीरे सिमट रही कांग्रेस के लिए मिजोरम की सत्ता को बचाना बहुत बड़ी चुनौती है।क्योँकि भारतीय जनता पार्टी पूर्वोत्तर के राज्यों में भी अपने पैर फैला रही है। भाजपा पूर्वोत्तर में अपने आप को स्थापित करने का कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।